upanishad kya hai in hindi उपनिषद का अर्थ क्या है
हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया आज फिर आपक्वे लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी को लेकर आ रहा हु इस लेख में हम आपके साथ upanishad kya hai in hindi उपनिषद का अर्थ क्या है से सम्बंधित जानकारी को देखेंगे जिससे यह लेख आपको सभी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा और आप आसानी से इसे समझ भी पाएंगे
उपनिषद का अर्थ क्या है
उपनिषद में हम देखते है की किस प्रकार से गुरु और छात्र एक साथ बैठ कर शिक्षा को ग्रहण करते है शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है उपनिषद का मूल उद्देश्य मनुष्य में अध्यात्मिक ज्ञान को बढावा देना . उसके ज्ञान को बढाना .
पुराण और उपनिषद
पुराण और उपनिषद से हमें प्राचीन ग्रन्थ और प्राचीन समाज की जानकारी बहुत ही आसानी से देखने को मिलती है इसमें हम हमें प्राचीन समाज और उस समाज में किस प्रकार से लोग रहते थे और समाज की स्तिथि कैसी थी किस प्रकार से वहा पर राजा का राज होता था उस समय स्त्रियों की दशा कैसी थी यह सभी जानकारी हमें पुराण और उपनिषद में देखने को मिलता है
पुराण और उपनिषद की जानकारी
प्राचीन समय से ही वेद सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ माने जाते है सबसे पहले उन्हें विशिष्ट स्थान दिया गया है इसके बाद वेद के बाद ही अन्य ग्रंथो को मान्यता दी गई है वेद को सहिंता कहा गया है संहिता के पश्चात ब्राहाण , अरनायको तथा उपनिषदों का स्थान माना जाता है इन सभी से उत्तर वैदिक कालीन समाज एवं संस्कृति के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।
ब्राह्मण ग्रंथ
- मुख्यता ब्राह्मण ग्रंथ जो है वह गद्य शैली में लिखे गए हैं।
- प्रत्येक संहिता के लिए अलग-अलग ब्राह्मण ग्रंथ है
- प्रत्येक संहिता को अलग-अलग सारणी में रखा गया है
सारणी का विस्तार
प्रत्येक सारणी में हमें परीक्षित के बाद और बिंबिसार के पूर्व की घटनाओं का ज्ञान प्राप्त होता है ऐतरेक में राज्याभिषेक के नियम और प्राचीन राजाओं के नाम दिए गए हैं वैदिक साहित्य में ऋग्वेद के बाद शतपथ ब्राह्मण का उल्लेख किया गया है
शतपथ ब्राह्मण राजाओं के उल्लेख किए गए हैं।
- शतपथ मैं गंधार
- शाल्य
- केकई
- कुरु
- पंचाल
- कौशल
- विदेह
ग्रन्थ से सम्बंधित जानकारी
- आरएनए में यज्ञ से जुड़े कर्मकांड की दार्शनिक और प्रति कर्मिक अभिव्यक्ति है
- उपनिषदों की संख्या 108 होती है
- उपनिषद में 13 उपनिषदों को मूलभूत श्रेणी में रखा गया है
- उपनिषद में मुख्यतः दार्शनिक विचार शरीर , ब्रह्मांड आत्मा तथा ब्रह्म की व्याख्या की गई है।
- मैत्रेयानी मैं मुख्यतः स्त्री की सर्वाधिक बेकार स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
- इसमें भांति स्त्री को पुरुष का तीसरा मुख्य दोष बताया गया है
- शतपथ ब्राह्मण में स्त्री को पुरुष की अर्धांगिनी कहा गया है
- जवालोउपनिषद में चारों आश्रमों का उल्लेख किया गया है
- सबसे प्राचीन एवं प्रमाणिक मनुस्मृति को ग्रंथ माना जाता है
- शुंग काल में मनुस्मृति के नियम लागू होते थे
- नारद स्मृति में गुप्त युग के विषय की जानकारी प्राप्त होती है
- वेदों को समझने के लिए छह वेदंगों की रचना की गई है
- गौतम धर्म सूत्र सबसे प्राचीन माना जाता है
- भारतीय ऐतिहासिक कथाओं का सबसे अच्छा क्रमबद्ध विवरण हमें पुराणों में मिलता है।
- पुराने की रचना का विषय लोमहर्ष अथवा उनके पुत्र उग्रश्रावा को जाता है
- पुराने की संख्या 18 होती है
- राजाओं की वंशावली मुख्यतः पांच पुराणों में पाया जाता है मत्स्य वायु विष्णु ब्राह्मण एवं भागवत
- पुराणों में मध्य पुराण सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक माना जाता है
- मुख्यतः पुराण संस्कृत श्लोक में लिखे गए हैं
- प्राचीन काल में स्त्रियों और शूद्र को वेद पढ़ने की अनुमति नहीं थी वह पुराण को सुन सकते थे
- प्राचीन काल में पुराने का पाठ पुजारी मंदिर में किया करते थे
- प्राचीन पुराण में अग्नि पुराण में राजतंत्र के साथ कृषि संबंधी जानकारी प्राप्त होती है
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Q ;- 1 उपनिषद के रचयिता कौन है
ANS ;- कृष्ण द्वैपायन जी है
Q ;- 2 सबसे पुराना उपनिषद कौन सा है
ANS ;- बृहदारण्यक उपनिषद
Q ;- 3 सबसे बड़ा उपनिषद कौन सा है
ANS ;- बृहदारण्यक उपनिषद
दोस्तों इस लेख में हमने आपको उपनिषद और पुराण से सम्बंधित जानकारी आपके सामने रखा है जिससे के upanishad kya hai in hindi उपनिषद का अर्थ क्या है उपनिषद का मुख्य विषय क्या है उपनिषद के रचयिता कौन है सबसे पुराना उपनिषद कौन सा है सबसे बड़ा उपनिषद से सम्बंधित जानकारी को हम इस लेख में देखेंगे .
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